Chapter 9 Shloka 34

मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु।

मामेवैष्यसि युक्त्वैवमात्मानं मत्परायण:।।३४।।

Fix your mind on Me alone. Let your attachment

and love be focused on Me; offer your life

as a yagya unto Me; bow before Me alone.

One who thus seeks refuge in Me and unifies himself

with Me through Yoga, shall attain Me.

Chapter 9 Shloka 34

मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु।

मामेवैष्यसि युक्त्वैवमात्मानं मत्परायण:।।३४।।

Look! The Lord Himself is saying in His own words:

Fix your mind on Me alone. Let your attachment and love be focused on Me; offer your life as a yagya unto Me; bow before Me alone. One who thus seeks refuge in Me and unifies himself with Me through Yoga, shall attain Me.

Look Kamla!

a) See how much the Lord loves us!

b) How infinite is His compassion!

c) Mark the proof of His love for His devotee.

Look, He says Himself:

1. Love Me.

2. Keep Me in your mind always.

3. Attach your heart in Me.

4. Engage your every limb for Me alone.

5. Keep Me with you every moment.

6. Know Me to be yours.

7. Look towards Me – I am your very own.

8. I wish to live with you every moment.

9. I shall deliver you from this cycle of birth and death.

10. I shall fill you with knowledge.

11. I shall transform you into the embodiment of knowledge.

Just love Me! Let your desire be just for Me! Attach yourself to Me!

The Lord says:

1. Perform this yagya of life for My sake. You swing between joy and sorrow to no avail.

2. Give Me your life and I shall grant you immortality.

3. Give Me your life and I shall grant you Truth itself.

4. Give Me your life and I shall give you your true Self.

5. Know Me to be all and bow to Me.

6. Know Me to be all and become humble.

7. Know Me to be all and witness My magnificent Universal Form.

8. If you love Me, you are bound to bow in humility.

9. If you love Me, you will necessarily love the entire world.

10. If you love Me, love shall necessarily flow from your eyes.

At the gross level, transform your life with the spirit of yagya. At the subtle level, keep Me always in your mind. On the intellectual plane, know that all is Vaasudeva and bow in humility before all. Then you shall inevitably attain Me.

अध्याय ९

मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु।

मामेवैष्यसि युक्त्वैवमात्मानं मत्परायण:।।३४।।

देख मेरी जान् कमला! भगवान स्वयं निज मुखारविन्द से कहते हैं :

शब्दार्थ :

१. मन में केवल मुझको रख।

२. लग्न, प्रेम अब तेरा मुझी में हो,

३. तुम्हारा जीवन मेरे लिये ही यज्ञपूर्ण हो,

४. तुम निरन्तर मेरे को ही नमन करो।

५. बस इसी प्रकार मेरी शरण में आया हुआ आत्म,

६. मुझ में ही योग लगा कर,

७. मेरे को ही प्राप्त होगा।

तत्व विस्तार :

देख कमल :

क) कितना प्रेम है भगवान को।

ख) कितनी अपार करुणा है उस करुणानिधि की।

ग) भक्त वात्सल्यता का प्रमाण देख!

देख वह स्वयं कह रहे हैं :

– मुझे प्यार किया कर।

– मुझे ही अपने मन में रख ले।

– अपनी लग्न मुझी में जगा ले।

– अपने अंग मुझी में लगा ले।

– मुझे हर पल अपने साथ रखा कर।

– मुझे अपना ही जान ले।

– मुझे देख सही! मैं तुम्हारा ही हूँ।

– मैं हर पल तेरे साथ ही रहना चाहता हूँ।

– मैं तुझे जन्म मृत्यु से भी तार दूँगा।

– मैं तुझे ज्ञान से भरपूर कर दूँगा।

– मैं तुझे ज्ञान की प्रतिमा ही बना दूँगा।

बस तू मुझे प्यार तो कर! बस तू मुझे चाह तो सही। तू लग्न लगा तो सही।

भगवान ने कहा :

1. जीवन रूप यज्ञ मेरे लिये कर, तू नाहक दु:खी सुखी होता है।

2. तू अपना जीवन मुझे दे दे, मैं तुझे अमरत्व दे दूँगा।

3. तू अपना जीवन मुझे दे दे, मैं तुझे सत्त्व दूँगा।

4. तू अपना जीवन मुझे दे दे, मैं तुझे स्वरूप दे दूँगा।

5. सब कुछ मुझे जान कर, नमस्कार कर।

6. सब कुछ मुझे जान कर, ज़रा झुक जा।

7. सब कुछ मुझे जान कर, मेरा विराट विश्वरूप देख तो सही।

8. मुझे प्रेम करेगा तो तू झुक ही जायेगा।

9. मुझे प्रेम करेगा तो तुझे संसार से प्रेम हो ही जायेगा।

10. मुझे प्रेम करेगा तो तेरी आँख से प्रेम बह ही जायेगा।

स्थूल में अपना जीवन यज्ञ रूप बना, सूक्ष्म में मन में मुझे धर ले। बुद्धि स्तर पर सब वासुदेव जान कर सबको नमस्कार कर, तब तू निश्चित मुझे ही पायेगा।

ॐ तत्सदिति श्रीमद्भगवद्गीतासूपनिषत्सु ब्रह्मविद्यायां योगशास्त्रे

श्रीकृष्णार्जुन संवादे राजविद्या राजगुह्य योगो नाम

नवमोऽध्याय:।।९।।

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