अध्याय ६
युक्ताहारविहारस्य युक्तचेष्टस्य कर्मसु।
युक्तस्वप्नावबोधस्य योगी भवति दु:खहा।।१७।।
अब भगवान कहते हैं कि :
शब्दार्थ :
१. युक्त आहार विहार वाले का,
२. कर्मों में युक्त चेष्टा करने वाले का,
३. तथा युक्त स्वप्न और बोध करने वाले का योग
४. दु:ख नाशक सिद्ध होता है।
तत्व विस्तार :
नन्हीं! यहाँ योगी के विषय में बात कह रहे हैं। सर्व प्रथम ‘युक्त’ शब्द को समझ ले :
युक्त :
1. लीन हुए को कहते हैं।
2. स्थित हुए को कहते हैं।
3. मिले हुए को कहते हैं।
4. तुले हुए को कहते हैं।
5. उस संयमपूर्ण योगी को कहते हैं, जो योगाभ्यास में आरूढ़ हो।
अब समझ उस श्रेष्ठ तथा उच्चत्तम साधक का :
क) आहार क्या होगा?
ख) चलना फिरना क्या होगा?
ग) कर्म चेष्टा क्या होगा?
घ) स्वप्न क्या होगा?
ङ) ज्ञान क्या होगा?
नन्हीं जान्! वह तो योग युक्त हुआ है और अपने आपको आत्मा मान रहा है। वह तो दु:खों का नाश करने वाले योग में युक्त हो चुका है। वह तो अपने आपको तन ही नहीं मानता।
1. तत्पश्चात् उसका जीवन युक्त का जीवन ही होता है।
2. तत्पश्चात् उसका आचरण युक्त का आचरण ही होता है।
3. तत्पश्चात् उसका हर कर्म युक्त का कर्म ही होता है।
4. तत्पश्चात् उसका ज्ञान युक्त का ज्ञान हो जाता है।
5. तत्पश्चात् उसका सोना या जागना युक्त का ही होता है।
वह तो जो कुछ भी करता है :
क) ‘मैं’ के रहित ही होता है।
ख) अहंकार के रहित ही होता है।
ग) अपने आपको भूलकर ही करता है।
घ) अपने तन को मानो नीचा करके ही करता है।
– वह तो अपने संरक्षण के कारण कुछ भी नहीं करता।
– वह तो अपनी स्थापना के लिये कुछ भी नहीं करता।
– वह तो अपने कारण कर्म चेष्टा भी नहीं करता।
वह तो योगयुक्त हुआ है। उसका तन, जो काज कर्म करता हुआ दिखता है, वह केवल दिव्य तन है। उसमें मानो तन का मालिक ‘मैं’ नहीं होता। जहाँ ‘मैं’ तथा अहंकार का अभाव हो, वह नित्य युक्त ही होते हैं।
अब साधारण जीव के और साधक के दृष्टिकोण से ‘युक्त’ को समझ ले।
1. जो भी जीव के योग का वर्धन करे;
2. जो भी जीव को परम में मिला दे;
3. जो भी जीव को निरासक्त बना दे;
4. जो भी जीव को मोह रहित बना दे;
5. जो भी जीव को पाप विमुक्त करा दे;
6. जो भी जीव को समचित्त बना दे;
7. जो भी जीव को अपने प्रति उदासीन बना दे;
8. जो भी जीव को देहात्म बुद्धि और तनत्व भाव से मुक्त करा दे;
9. जो जीव को आत्मवान् बना दे,
उसे ‘युक्त’ जान लो।
तुम जो भी करो, जितना भी करो, वह तुम्हें युक्त करने वाला है या अयुक्त करने वाला है, यह तो तुम्हारे परिणाम रूपा लक्ष्य पर आधारित है।