अध्याय १
काश्यश्च परमेष्वास: शिखण्डी च महारथ:।
धृष्टद्युम्नो विराटश्च सात्यकिश्चापराजित:।।१७।।
द्रुपदो द्रौपदेयाश्च सर्वश: पृथिवीपते।
सौभद्रश्च महाबाहु: शंखान्दध्मु: पृथक्पृथक्।।१८।।
अब संजय धृतराष्ट्र को पाण्डु सेना के अन्य प्रधान योद्धाओं की बताते हैं और कहते हैं कि :
शब्दार्थ :
१. हे पृथ्वीपति (धृतराष्ट्र),
२. उत्तम धनुषधारी काशी के राजा, महारथी शिखण्डी,
३. धृष्टद्युम्न, विराट,
४. अजेय सात्यकि,
५. राजा द्रुपद तथा द्रौपदी के पुत्र
६. और बड़ी भुजाओं वाला सुभद्रा का पुत्र (अभिमन्यु),
७. इन सबने अलग अलग शंख बजाये।
तत्व विस्तार :
संजय ने धृतराष्ट्र को जगाया।
संजय ने धृतराष्ट्र को ‘पृथ्वीपति’ कह कर संबोधित किया क्योंकि :
क) असली राजा दुर्योधन नहीं था बल्कि धृतराष्ट्र थे।
ख) असली भूमि पति दुर्योधन नहीं बल्कि धृतराष्ट्र थे।
ग) यदि धृतराष्ट्र अपने पुत्रों के मोह में अन्धे न होते,
1. तो वह न्याय करते और पाण्डवों का राज्य लौटा देते।
2. इतने अत्याचार पाण्डवों पर कदापि न होते।
3. उनके पुत्र इतने क्रूर कर्म न कर सकते।
4. उनके पुत्र पाण्डवों के साथ इतना छल कपट भी न कर सकते।
5. जब पाण्डव बनवास से लौट कर आये थे, तभी उन्हें उनका राज्य यानि भूमि लौटा देते।
जीवन में मोह ही अन्धा करता है इन्सान को, यही गति धृतराष्ट्र की थी।
मोह के कारण ही अधिकांश पाप होते हैं। मोह के कारण ही माँ बाप बच्चों की ग़लतियाँ सह लेते हैं और पाप करते हैं।
यही दुर्योधन यदि किसी और का पुत्र होता और पाण्डव इनके अपने पुत्र होते तो सोचो कि धृतराष्ट्र क्या करते?
आजकल के माँ बाप का प्रतीक धृतराष्ट्र है। मोह के कारण सम्पूर्ण दैवी गुण छिन्न भिन्न हो जाते हैं। मोह के कारण न्याय भी नहीं रहता। मोह के कारण सत् और असत् का भेद भी समझ में नहीं आता।
संजय मानो धृतराष्ट्र को याद दिला रहे हों कि ‘आप ही पृथ्वीपति हो, किन्तु यह सब आपने क्या किया; यह अन्याय आपने ही करवाया है, यह सब आपके ही कारण हुआ है।’
श्री कृष्ण तथा पाण्डु पुत्रों के शंख बजाने के बाद निम्नलिखित योद्धाओं ने अपने शंख बजाये :
1. काशिराज – जो महा धनुर्धारी थे।
2. शिखण्डी – द्रुपद का पुत्र, जिसकी आड़ में भीष्म पितामह की मृत्यु हुई।
3. धृष्टद्युम्न – द्रुपद का पुत्र, जिसके हाथों द्रोणाचार्य मारे गये।
4. विराट – जिसके राज्य में पाण्डु पुत्र भेष बदल कर रहे।
5. सात्यकि महाबली – जिन्हें अर्जुन ने लड़ना सिखाया, कृष्ण को यह बहुत प्रेम करते थे।
6. राजा द्रुपद जिनकी दुश्मनी द्रोण से थी, जिन्हें एक बार अर्जुन ने हराया था।
7. द्रौपदी के पुत्र।
8. सुभद्रा का पुत्र अभिमन्यु, जो बड़ी बड़ी भुजाओं वाला था।