अध्याय २
नेहाभिक्रमनाशोऽस्ति प्रत्यवायो न विद्यते।
स्वल्पमप्यस्य धर्मस्य त्रायते महतो भयात्।।४०।।
अब भगवान उस बुद्धि की महिमा कहते हैं, जिसको पाकर जीव योग में स्थित हो जाता है। उसके बारे में भगवान कहते हैं कि :
शब्दार्थ :
१. इस बुद्धि की ओर जो भी प्रयत्न किया जाये, उसका नाश नहीं होता,
२. और विपरीत फल भी नहीं होता,
३. इस बुद्धि रूपा धर्म का थोड़ा भी साधन किया हो,
४. तो महान् भय से उद्धार हो जाता है।
तत्व विस्तार :
नन्हीं! अभी भगवान कह कर आये हैं कि वह उस बुद्धि की बताते हैं, जिसको पाकर जीव योग स्थित होकर कर्म बन्धन से मुक्त हो जाते हैं। अब उसी बुद्धि की महिमा गाते हुए कहते हैं कि “नेहाभिक्रमनाशोऽस्ति”।
अभिक्रम का अर्थ है :
आरम्भ करना, अनुष्ठान करना, जीवन में सार्थक करना, संचार करना, प्रयत्न करना।
भगवान कहते हैं, ‘अभिक्रम का नाश नहीं होता।’ अर्थात् :
1. उसके उपार्जन के लिये जो भी यत्न किये जायें, उनका नाश नहीं होता।
2. इस पथ पर जितनी बुद्धि आपकी बढ़ जाये, वह कम नहीं होती।
3. यानि जितनी समझ आपको आ जाये, वह कम नहीं होती और वह न्यूनता को नहीं पा सकती।
4. जितना प्रकाश हो गया, वह कभी नहीं मिटता।
फिर कहते हैं, इस बुद्धि का विपरीत फल कोई नहीं होता; इस बुद्धि से ख़राबी कोई नहीं होती; इस बुद्धि पर चलने से कोई हानि नहीं होती। इस बुद्धि का थोड़ा सा भी अनुसरण किया जाये तब महान् भय भी नहीं रहता।
क) जीवन में यह बुद्धि मृत्यु भय से भी बचा लेती है।
ख) जीवन में यह बुद्धि अपमान भय से भी बचा लेती है।
ग) जीवन में यह बुद्धि हानि भय से भी बचा लेती है।
घ) जीवन में पराजय के भय से भी यह बुद्धि बचा लेती है।
ङ) जीवन में दु:ख के भय से भी यह बुद्धि बचा लेती है।
च) जीवन में विपरीतता के भय से भी यह बुद्धि बचा लेती है।
यानि, परिस्थिति बदले या न भी बदले, उसे विपरीतता के भय से भी विमुक्त कर देती है। इस बुद्धि को पाना जीव का धर्म है तथा जीव के लिये अनिवार्य है। इस बुद्धि को पाकर ही जीव योग स्थित और समत्व भाव में स्थित हो जाता है। यानि इस बुद्धि को पाकर ही जीव भगवान जैसा बन जाता है। इस बुद्धि द्वारा जीव, आत्म तत्व का जो ज्ञान पाता है, उसे अपने जीवन में उतार सकता है। यानि, सांख्य ज्ञान को विज्ञान में परिणित करने के लिये यह बुद्धि अनिवार्य है। आत्मा या आत्म स्वरूप में योग पाने के लिये यह बुद्धि अनिवार्य है। आत्मवान् की स्थिति का जीवन में प्रमाण भी इस बुद्धि पर आधारित है।